आज हम दोनों के बीच दो गज की दूरी है इए मानो जैसे वक्त की मजबूरी है! आज हम दोनों के बीच दो गज की दूरी है इए मानो जैसे वक्त की मजबूरी है!
कदमों की अदा धरा का चीर कर कलेजा अंबर तक जाए रचयिता भी ललचाये। कदमों की अदा धरा का चीर कर कलेजा अंबर तक जाए रचयिता भी ...
अंबर तक जाए रचयिता भी ललचाये। अंबर तक जाए रचयिता भी ललचाये।
परिंदा हूं रोक लो जितना रोकना है, अभी तो अम्बर के पार उड़ान बाकी है। परिंदा हूं रोक लो जितना रोकना है, अभी तो अम्बर के पार उड़ान बाकी है।
फिर धकेला जाता है जीव जीने के लिए यहां से वहाँ दो दरवाजे पर। फिर धकेला जाता है जीव जीने के लिए यहां से वहाँ दो दरवाजे पर।
दो बूँद दो बूँद